मैंने सिखाया क से कबूतर कबूतर माने पीजन उन्होंने रटाया पी फार पीजन पीजन मीन्स कबूतर मैंने जड़ों को सींचना चाहा वे डाल सींचते रहे
हिंदी समय में सर्वेश सिंह की रचनाएँ